क्या आप Amitabh Bachchan Shayari तलाश रहे है अगर हा तो आप सही आर्टिकल पर है क्युकी आज हम आपके लिए अमिताभ बच्चन की बहुत ही पोपुलर शायरी Kabhi Kabhi Shayari लेकर आये है जिसे अमिताभ जी अपने मुहं जुबानी कही है जो आपके दिल-ओ-दिमाग को बाग-बाग कर देगी तो चलिए चलते है आज के हमारे पोस्ट अमिताभ बच्चन शायरी पर..
So Let’s Begin
Kabhi Kabhi Shayari By Amitabh Bachchan Mukh Jabaani – कभी कभी शायरी अमिताभ बच्चन के मुख जवानी..
Contents
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी
यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुओं मैं खो भी सकती थी
मगर यह हो न सका और अब ये आलम हैं
कि तू नहीं तेरा ग़म तेरी जुस्तजू भी नहीं
गुज़र रही हैं कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे
इससे किसी के सहारे कि आरझु भी नहीं
न कोई राह न मंजिल न रौशनी का सुराग
भटक रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी
इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता है
Ki zindagee teree julphon ki narm chhaanv main gujarane paatee
To shaadaab ho bhee sakatee thee
Yah ranj-o-gam ki siyaahee jo dil pe chhaee hain
Teree nazar ki shuon main kho bhee sakatee thee
Magar yah ho na saka aur ab ye aalam hain
Ki too nahin tera gam teree justajoo bhee nahin
Guzar rahee hain kuchh is tarah zindagee jaise
Isase kisee ke sahaare ki aarajhu bhee nahin
Na koee raah na manjil na raushanee ka suraag
Bhatak raheen hai andheron main zindagee meree
Inhee andheron main rah jaoonga kabhee kho kar
Main jaanata hoon meree ham-naphas magar yoonhee
Kabhee kabhee mere dil main khyaal aata hai
Let’s Wrap it,
हम आशा करते है आपको आज का पोस्ट Amitabh Bachchan पर Shayari पसंद आई होगी अगर आपको आज का आर्टिकल पसंद आया इस आर्टिकल को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपने रिलेटिव और अपने सभी दोस्तों के साथ शेयर करें अगर आपको इस आर्टिकल से रिलेटेड कोई Query हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते है.
और शायरी पढ़े 😉