मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ,
ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं..!
Barish Shayari
Ab Bhee Barasaat Ki Raaton Mein – अब भी बरसात की रातों में !
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाईयों की।
Barish Mein Tapish Aur Badh Gayee – बारिश शायरी तपिश और बढ़ गई !
तपिश और बढ़ गई इन चंद बूंदों के बाद,
काले सियाह बादलो ने भी बस यूँ ही बहलाया मुझे।
Is Bheege Bheege Mausam Mein – इस भीगे भीगे मौसम में !
इस भीगे भीगे मौसम में थी आस तुम्हारे आने की,
तुमको अगर फुर्सत ही नहीं तो आग लगे बरसातों को..!!
Barish Mein Kal Raat Maine – बारिश में कल रात मैंने !
कल रात मैंने सारे ग़म आसमान को सुना दिए,
आज मैं चुप हूँ और आसमान बरस रहा है..!!
Jab Bhi Hogi Pehli Baarish – बारिश पर शायरी जब भी होगी पहली बारिश !
जब भी होगी पहली बारिश, तुमको सामने पायेंगे,
वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम देख तो पायेंगे..!!